पौधों में भी जीवन होता है – सर जगदीश चंद्र बोस की ऐतिहासिक खोज को समर्पित दिन

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आज 10 मई का दिन भारतीय विज्ञान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। वर्ष 1901 में आज ही के दिन महान भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया था कि पौधों में भी जान होती है, ठीक वैसे ही जैसे जानवरों में होती है। सर बोस ने अपने द्वारा आविष्कृत यंत्र क्रेस्कोग्राफ की सहायता से यह दिखाया कि पौधे भी बाहरी परिवर्तनों पर प्रतिक्रिया करते हैं। उन्होंने पौधों में जीवन की पुष्टि करने के लिए एक प्रयोग में पौधे की जड़ में ब्रोमाइड (ज़हर) डाला, जिससे उसकी धड़कन एक विशेष यंत्र पर दिखाई देने लगी। थोड़ी देर बाद यह धड़कन अनियमित होने लगी और अंततः रुक गई, जिससे यह सिद्ध हुआ कि पौधे की मृत्यु हो गई। यह प्रयोग लंदन की रॉयल सोसायटी में प्रस्तुत किया गया, जहाँ विश्व के वैज्ञानिकों ने सर बोस की खोज को सराहा और स्वीकार किया। सर बोस के इस महान कार्य ने यह स्पष्ट कर दिया किपौधे केवल हरित जीवन नहीं, बल्कि जीवित प्राणी जैसे संवेदनशील होते हैं। हम सभी नागरिकों से अपील करते हैं कि वे पेड़ों और पौधों को भी जीवित प्राणी समझें, उनका आदर करें और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें। पेड़-पौधों की रक्षा करना न केवल प्रकृति की सेवा है, बल्कि एक जीव की रक्षा भी है।
“पेड़ लगाओ – जीवन बचाओ”

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