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“वैदिक होली” के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य संवर्धन

गौ काष्ठ (गोबर लकड़ी) के उपयोग हेतु डॉ. कथीरिया की अपील
होली का पर्व सर्दी और गर्मी के मौसम के संधिकाल में आता है। इस समय वायुमंडल में वायरस की संख्या अधिक होने के कारण संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। वैदिक पद्धति से मनाई जाने वाली होली धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी है। गाय के गोबर से बने काष्ठ, गौ घी, कपूर, हवन सामग्री और नव औषधियों के उपयोग से वातावरण शुद्ध होता है तथा हानिकारक बैक्टीरिया एवं वायरस का नियंत्रण होता है।
ग्लोबल कन्फेडरेशन ऑफ काउ-बेस्ड इंडस्ट्रीज (GCCI) द्वारा इस वर्ष होली के पावन पर्व पर समाज और गौशालाओं से अपील की जा रही है कि पर्यावरण अनुकूल और पारंपरिक विकल्प के रूप में गौ काष्ठ (गोबर लकड़ी) का अधिक से अधिक उपयोग करें। परंपरागत रूप से होलिका दहन में बड़ी मात्रा में लकड़ी का उपयोग किया जाता है, जिससे वनों की कटाई और पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढ़ती है। गौ काष्ठ से होली दहन करने से न केवल वनों का संरक्षण होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरण संरक्षण और वैदिक संस्कृति के महत्व का भी बोध होगा। इससे युवाओं को वनों की रक्षा और प्रदूषण कम करने का संदेश मिलेगा और वे पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रेरित होंगे।
GCCI के संस्थापक डॉ. कथीरिया ने गौ काष्ठ के उपयोग से होने वाले फायदों पर चर्चा करते हुए बताया कि गौ काष्ठ के उपयोग से वनों की कटाई को रोका जा सकता है और यह लकड़ी की तुलना में कम धुआं उत्पन्न करता है, जिससे वायु प्रदूषण भी कम होता है। इसके अलावा, गौशालाओं के लिए यह एक अतिरिक्त आय का स्रोत बनेगा। GCCI का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गौशालाओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाना है।
GCCI ने गौशालाओं और सामाजिक संस्थाओं से अपील की है कि वे अधिक से अधिक गौ काष्ठ का उत्पादन करें और इसके प्रचार-प्रसार में योगदान दें। साथ ही, नागरिकों एवं समाज से आग्रह किया है कि वे इस गौ काष्ठ को अपनाकर अपने पवित्र त्योहारों को पर्यावरण हितैषी बनाएं।
इसके साथ ही GCCI ने सरकार और स्थानीय प्रशासन से भी अपील की है कि वे गौ काष्ठ के उपयोग को प्रोत्साहित करें और नागरिकों को इसके प्रति जागरूक करें। यदि विभिन्न शहरों में गौ काष्ठ की उपलब्धता बढ़े और इसका अधिकाधिक उपयोग हो, तो पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। डॉ. कथीरिया ने विशेष रूप से छात्रों और युवाओं से आह्वान किया कि वे इस पर्यावरण हितैषी अभियान में भाग लें और गौ काष्ठ के प्रचार-प्रसार में योगदान दें।
गौ काष्ठ की उपलब्धता हेतु तेजस चोटलिया मो. 94269 18900 मीनाक्षी शर्मा मो. 83739 09295 पर संपर्क करें।

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