भारत का गोबर बना सोने की खदान, अरब देशों में तेजी से बढ़ रही मांग
भारत, जहां गाय को केवल दूध के लिए नहीं, बल्कि उसके संपूर्ण योगदान के लिए पूजनीय माना जाता है, अब अपने गोबर के जरिए भी वैश्विक मंच पर पहचान बना रहा है। ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार, भारत ने वर्ष 2024 में कुल ₹400 करोड़ मूल्य का गाय का गोबर और उससे बने उत्पादों का निर्यात किया है। यह 2023 में ₹125 करोड़ के निर्यात से तीन गुना अधिक है। खासतौर पर कुवैत और अन्य अरब देशों में गोबर की भारी मांग देखी जा रही है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गुरु प्रसाद सिंह के अनुसार, अरब देशों की रेतीली मिट्टी में पोषक तत्वों की भारी कमी है, जिसके चलते वे भारतीय गाय के गोबर से बनी जैविक खाद का इस्तेमाल खजूर की खेती में बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। एक शोध में पाया गया कि गोबर पाउडर के रूप में इस्तेमाल करने से खजूर की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है। गोबर में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक, आयरन जैसे आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो न केवल फसल के लिए लाभकारी हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाते हैं। भारत से गोबर खरीदने वाले शीर्ष 10 देश: मालदीव,अमेरिका,सिंगापुर चीन,नेपाल,ब्राज़ील,अर्जेंटीना,ऑस्ट्रेलिया,कुवैत,संयुक्त अरब अमीरात भारत अब मसालों, चाय और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ गोबर व गोमूत्र जैसे जैविक उत्पादों को भी वैश्विक बाजार में पहुंचाकर “गो-आर्थिक क्रांति” का नेतृत्व कर रहा है। यह नया आयाम ना केवल भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहा है, बल्कि देश की जैविक कृषि, गो-पालन और पर्यावरणीय स्थिरता को भी मजबूती प्रदान कर रहा है।