गौ आधारित उद्योग: गाँव से ग्लोबल तक

भारत का ग्रामीण जीवन गाय के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। गाय केवल धार्मिक श्रद्धा का केन्द्र नहीं है, बल्कि भारत की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है । प्राचीन काल से ही गौ आधारित उत्पाद जैसे दूध, घी, दही, गोबर, गोमूत्र और पंचगव्य का उपयोग कृषि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक जीवन के लिए होता आया है । आज के समय में, जब कृत्रिम और रासायनिक उत्पादों से स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है, तब गौ आधारित उद्योग फिर से केन्द्र में आ गए हैं। ग्रामीण भारत में गौ आधारित उद्योग स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन रहे हैं । छोटे गौशाला संचालक, दूध उत्पादक और पंचगव्य उत्पादक रोजगार और आत्मनिर्भर जीवनशैली की ओर बढ़ रहे हैं । महिलाओं और युवाओं के लिए गौ आधारित गतिविधियाँ रोज़गार उपलब्ध करवा रही हैं, जैसे दूध प्रोसेसिंग, दही-घी उत्पादन, गोबर से बने पेंट, प्लास्टर, रंग, ईंटें, प्लाईवुड, टाइल्स, कागज, और श्मशान के लिए लकड़ी के विकल्प के रूप में गोबर लकड़ी की भारी माँग है । गोबर और गोमूत्र से बायोफ्यूल जैसे बायोगैस, CNG, CO2, हाइड्रोजन आदि का उत्पादन कर फैक्ट्रियों में आपूर्ति की जा रही है।
इन उद्योगों का विकास अब केवल स्थानीय बाजार तक सीमित नहीं है। आज जैविक कृषि, पंचगव्य आधारित आयुर्वेदिक दवाएँ, प्राकृतिक कॉस्मेटिक्स, गौघृत आधारित फूड प्रोडक्ट्स आदि के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी माँग है । विशेष रूप से स्वास्थ्यपूर्ण जीवनशैली अपनाने वाली पाश्चात्य संस्कृतियों में भारतीय गौ उत्पादों के प्रति जागरूकता और समझ बढ़ रही है ।
सरकार और विभिन्न संस्थाओं द्वारा गौ उद्योगों को समर्थन देने के लिए कई योजनाएँ लागू की गई हैं । तकनीकी प्रशिक्षण, पूंजी सहायता और विपणन समर्थन प्रदान किया जा रहा है । सहकारी मंडलियाँ और MSME क्षेत्र भी गौ उत्पाद प्रसंस्करण और निर्यात में शामिल हो रहे हैं।
तकनीक का उपयोग कर गौ आधारित उद्योगों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स और ब्रांडिंग के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है। कई स्टार्टअप्स और युवा उद्यमी अब गौ आधारित हेल्थ और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को वैश्विक स्तर पर लॉन्च कर रहे हैं, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों को भी बल मिल रहा है ।
इस प्रकार, गौ आधारित उद्योग “गाँव से ग्लोबल” तक अपनी पहचान बना रहे हैं । ये उद्योग केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पर्यावरण, स्वास्थ्य, आत्मनिर्भरता और संस्कृति के संरक्षण को भी सुनिश्चित कर रहे हैं । भारत की परंपरा और नवाचार का संगम गौ आधारित उद्योगों के माध्यम से पूरी दुनिया में भारतीय मूल्यों और समृद्धि का विस्तार कर रहा है।
इस दिशा में युवाओं को मार्गदर्शन देने के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया की अध्यक्षता में ग्लोबल कन्फेडरेशन ऑफ काउ बेस्ड इंडस्ट्रीज (GCCI) की शुरुआत की गई है, जो वैश्विक स्तर पर गौ आधारित उद्योगों के विकास और प्रोत्साहन देने वाली अग्रणी संस्था है । GCCI का मुख्य उद्देश्य गौ आधारित उत्पादों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर होना है । गौशालाओं के संचालन से लेकर गौ आधारित उद्योगों तक, और प्राकृतिक खेती से पंचगव्य उत्पादन तक, GCCI गौ-उद्यमिता के सभी क्षेत्रों में मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग प्रदान करता है।
युवाओं, महिलाओं और गौ प्रेमियों के लिए विभिन्न सेमिनार, वर्कशॉप, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और नेटवर्किंग प्लेटफार्मों के माध्यम से GCCI उन्हें स्थानीय से वैश्विक बाजार में सफलता प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन कर रहा है।
अधिक जानकारी के लिए GCCI के जनरल सेक्रेटरी श्री मित्तलभाई खेताणी और तेजस चोटलिया से मो. 94269 18900, मीनाक्षी शर्मा मो. 83739 09295 पर संपर्क करें।