“गौ राष्ट्र यात्रा” भौतिकतावादी युग में गौमाता के प्रति जागरूकता लाने एवं गौ आधारित जीवनशैली से ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास: भारतसिंह राजपुरोहित
गौमाता भारत की कृषि, स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था की आधारशिला है और “गौ राष्ट्र यात्रा” ‘ग्रामोदय से भारतोदय’ के संकल्प का जीवंत प्रतिबिंब है: डॉ. वल्लभभाई कथीरिया
गौ संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए “गौ राष्ट्र यात्रा”
61 दिन, 20,000 किलोमीटर और 12 से अधिक राज्यों का समावेश
“गौ राष्ट्र यात्रा” गांवों में गौ संस्कृति जागृत कर, युवाओं और संतों से संवाद और जनसंवाद द्वारा राष्ट्रीय एकता व गौरव की भावना को जागृत कर रही है: मित्तल खेताणी
“गौ राष्ट्र यात्रा” एक ऐतिहासिक, आध्यात्मिक एवं राष्ट्रीय स्तर की सांस्कृतिक यात्रा है, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन गौ संस्कृति को पुनः उजागर करना, गौ माता का संरक्षण और संवर्धन करना एवं पंचगव्य आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना है। यह यात्रा 15 जून 2025 को पवित्र ऋषिकेश (उत्तराखंड) से शुरू हुई है, और इसका समापन रामेश्वरम (तमिलनाडु) में होगा। 61 दिनों की यह यात्रा लगभग 20,000 किमी लंबी है और 12 से अधिक राज्यों से होकर गुजरेगी। यात्रा ग्रामीण आत्मनिर्भरता, गौ आधारित प्राकृतिक खेती, गौ आधारित उद्योगों एवं ग्राम स्वराज की भावना को प्रसारित कर रही है। “गौ राष्ट्र यात्रा” अब गुजरात के हृदय राजकोट में पहुंच चुकी है, जहाँ इसे जनता, गौसेवकों, संतों, किसानों और उद्यमियों से भारी समर्थन मिल रहा है।
इस यात्रा को ऋषिकेश से योगीराज आशुतोषजी महाराज, युवराज संत गोपालाचार्य, स्वामी केशव स्वरूप ब्रह्मचारी, महंत रवि प्रपन्नाचार्य, महंत करुणाशरण महाराज, महंत आलोक हरि महाराज, महंत कपिलमुनी महाराज, महंत राजेन्द्रदासजी महाराज सहित अखिल भारतीय संत समिति के पदाधिकारियों द्वारा केसरी ध्वज लहराकर और आशीर्वाद देकर रवाना किया गया था।
यह यात्रा अब तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान से गुजर चुकी है और फिलहाल गुजरात में प्रवेश कर चुकी है। आगे यह महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल राज्यों से गुजरेगी।
“गौ राष्ट्र यात्रा” का सफल नेतृत्व भारतसिंह राजपुरोहित (अध्यक्ष, पशु कल्याण एवं कृषि अनुसंधान संस्था – AWARI), नरेंद्र कुमार (संस्थापक, हिंद राइज़ गौ संवर्धन आश्रम और राष्ट्रीय गौसेवक संघ), रोहित बिष्ट (संस्थापक, माटी इंडिया) द्वारा किया जा रहा है। अभियान में प्रमुख सहयोगी हर्षदभाई गुगुलिया (संस्थापक, कामधेनु गौवेद) सहित समर्पित टीम है।
भारतसिंह राजपुरोहित ने यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जब आज हम आधुनिकता की ओर दौड़ रहे हैं, तब हमारी भारतीय संस्कृति के मूल तत्व ‘गौ सेवा’ से हम दूर होते जा रहे हैं। गौ माता सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि भारत के गांवों के लिए आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक समृद्धि का प्रतीक रही है। आज के समय में किसानों की समस्याएं, बेरोजगारी, जल संकट और सांस्कृतिक क्षय जैसी चुनौतियों का मूल कारण गौमाता के प्रति उपेक्षा है। “गौ राष्ट्र यात्रा” इस जागरूकता को लाने का एक प्रयास है।
यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर गौ शिबीर, सेमिनार, संवाद एवं जनजागृति कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें वैज्ञानिक, किसान, योगाचार्य, पर्यावरणविद व गुरुजन भाग लेंगे। इसमें शामिल श्रद्धालु स्वच्छता और गौ आधारित जीवनशैली को अपनाने का संकल्प लेंगे। यह गौ राष्ट्र यात्रा देश में गौ रक्षा, गौ संवर्धन एवं पंचगव्य आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनः जागृत कर एक नए युग की शुरुआत करेगी।
वेद, उपनिषद, पुराण और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान यह प्रमाणित कर चुके हैं कि गौमाता मानवता के लिए अमूल्य उपहार है। गौमूत्र, गोबर, दूध, दही और घी से बना पंचगव्य अनेक रोगों का प्रभावी उपचार है। इसलिए गोपंथ परंपरा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है।
AWARI संस्था के विषय में राजपुरोहितजी ने बताया कि यह मानव, पशु एवं कृषि अनुसंधान हेतु समर्पित संस्था है, जो देशी नस्ल के पशुओं के संरक्षण, गौ आधारित जैविक खेती के प्रचार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए कार्यरत है। “गौ राष्ट्र यात्रा” इसी दिशा में राष्ट्रीय चेतना से जुड़ी एक विशाल पहल है। यात्रा के दौरान हुए मंथनों से कई महत्वपूर्ण निर्णय और संकल्प लिए गए हैं। साथ ही सुझाव दिया गया कि देश भर में गौ आधारित प्रदर्शनियों का आयोजन हो, जहां श्रेष्ठ नस्लों की गायों को उनकी शुद्धता और गुणवत्ता के आधार पर पुरस्कृत किया जाए, जिससे गौपालकों को प्रोत्साहन मिले।
राजपुरोहितजी ने यह भी कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य सिर्फ गौसेवा नहीं बल्कि किसानों और गौपालकों के स्वाभिमान की पुनस्थापना भी है। हम गौपालन को ऐसा क्षेत्र बनाएंगे जिसमें सम्मान और आत्मनिर्भरता दोनों हों। यह सिर्फ भौगोलिक यात्रा नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र को गौमाता से जोड़ने वाली सांस्कृतिक और एकता की यात्रा है।
भारत सरकार के पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष, GCCI के संस्थापक डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कि गौमाता भारत की कृषि, स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था की आधारशिला है। आज देश को आवश्यकता है कि हम गौ आधारित जीवनशैली अपनाकर रासायनिक खेती और जीवनशैली से मुक्ति पाएं। गौ राष्ट्र यात्रा धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि “ग्रामोदय से भारतोदय” की दिशा में चल रहे गंभीर प्रयास का जीवंत उदाहरण है।
GCCI के जनरल सेक्रेटरी श्री मित्तल खेताणी ने कहा कि यात्रा के हर स्थल पर गौ पूजन, संत प्रवचन, युवाओं के साथ संवाद, गौ संस्कृति को उजागर करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम और ग्रामीण समस्याओं के समाधान हेतु जनसंवाद आयोजित किए जा रहे हैं। यह गौ राष्ट्र यात्रा हजारों गांवों और लाखों नागरिकों को गौमाता के गौरव के लिए एकत्र कर चुकी है और राष्ट्रीय भावना को आधार दे रही है।
“गौ राष्ट्र यात्रा” संबंधी जानकारी हेतु आयोजित प्रेस कॉन्फ्रन्स का संयोजन अरुणभाई निर्मल द्वारा किया गया। प्रेस कॉन्फ्रन्स में पत्रकारों का स्वागत मित्तल खेताणी ने किया और जानकारी भारतसिंह राजपुरोहित एवं डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने दी। राजकोट में यात्रा के संयोजन में विजयभाई डोबरिया, दिलीपभाई सखिया, रमेशभाई घेटिया, गौरांगभाई ठक्कर, पारसभाई महेता, वीराभाई हुंबल, रमेशभाई ठक्कर, धीरेंद्रभाई कानाबार, प्रतीक संघाणी, चंद्रेशभाई पटेल, विनोदभाई काछडिया, हिरेन हापलिया, कांतीभाई भूत, नवनीतभाई अग्रवाल, प्रकाशभाई सोलंकी, किशोरभाई वोरा, भरतभाई भुवा समेत कई सामाजिक अग्रणी एवं गौसेवकों का सहयोग प्राप्त हो रहा है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: भारतसिंह राजपुरोहित – मो.: 9772923956, रवि – मो.: 9719763911z ई-मेल: gousevaa@gmail.com , वेबसाइट: www.gaurashtrayatra.com पर संपर्क करे ।