श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर : गौ चिंतन

भगवान श्री कृष्ण का गौ प्रेम, और उनके स्मरण में गौ सेवा को जीवन में उतारने की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान कृष्ण का गायों के प्रति प्रेम हमें यह सिखाता है कि गायों की सेवा जीवन में कितनी आवश्यक है। गाय का दूध, दही, घी हमें शक्ति और स्वास्थ्य प्रदान करता है। जैसे कृष्ण जी गायों को चराते, उनकी देखभाल करते और सेवा करते थे, वैसे ही हमें भी गायों की सच्ची सेवा करनी चाहिए। गाय के पंचगव्य (दूध, दही, घी, गोमूत्र, गोबर) से शरीर स्वस्थ रहता है और कई रोग दूर होते हैं। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने गाय की महिमा बताई है और आज के वैज्ञानिक भी इसे मान्यता देते हैं। गाय का महत्व केवल स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, समाज के विकास और आध्यात्मिक शांति के लिए भी है। अनेक शोध यह साबित कर चुके हैं कि गौ उत्पाद मनुष्य और प्रकृति दोनों के लिए लाभकारी हैं। अतः, आइए हम श्री कृष्ण जन्माष्टमी जैसे पावन दिन पर गायों की सच्ची सेवा का संकल्प लें — केवल बोलने तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन में इसका वास्तविक पालन करें। कुछ सुझाव इस संदर्भ में:
- गाय का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्व समझें और दूसरों को भी समझाएं।
- गाय का आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व समझें और समझाएं।
- यदि संभव हो तो घर, आंगन, वाड़ी, फैक्ट्री, ऑफिस या फार्महाउस में देशी गाय रखें।
- देशी गाय का ही दूध, दही, घी उपयोग करें और बच्चों को विशेष रूप से समझाएं।
- व्यक्तिगत रूप से संभव न हो तो 10 व्यक्तियों के समूह में 2-4 गायें मिलकर रखें और उनका दूध साझा करें।
- गौशाला की गायों को दत्तक लें, समय-समय पर दर्शन करें और सेवा करें।
- गौशालाओं का नियमित दौरा करें और बच्चों को गायों का महत्व समझाएं।
- घर के शुभ अवसरों, जन्मोत्सव, विवाह, गुरु जयंती आदि अवसर गौशालाओं में मनाएं और गौदान करें।
- गौ उत्पादों जैसे गोमूत्र अर्क, पंचगव्य दवाएं, साबुन, शैम्पू, फिनाइल, सैनिटाइज़र का उपयोग करें।
- गाय के गोबर से बनी मूर्तियाँ, दीपक, टेबलपीस, धूपबत्ती, कैलेंडर, टाइल्स आदि उपयोग करें।
- गौ आधारित शोधों (रिसर्च)में मदद करें।
- गौ संरक्षण के पुण्य कार्यों में सहयोग करें।
- बीमार गायों की सेवा के लिए दान करें और गौ चिकित्सा केंद्रों की मदद करें।
- मंदिर-मठ-आश्रम स्थित गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने में मदद करें और गौ उत्पादों के उपकरण खरीदने में सहयोग करें।
- महिलाओं और युवाओं को गौ आधारित उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दें और गौ सेवा मंडलों का मार्गदर्शन करें।
- गौ साहित्य, लेख, काव्य, सूत्रों के माध्यम से गौ सेवा का प्रचार-प्रसार करें।
- गौ सेवा करने वालों का सम्मान करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। जैविक कृषि उत्पादों का उपयोग करें।
- गौपालकों का पूर्ण सम्मान करें और यथासंभव मदद करें। 19. गौ आधारित उद्योग स्थापित करें और स्वावलंबी बनें। 20. प्रत्येक गाँव में एक अच्छे धणखुंट (सांढ) की व्यवस्था करें और उनके वाड़े का सुचारू संचालन सुनिश्चित करें। 21. नियमित गौ पूजा, गौ प्रदक्षिणा और आरती करें। गौ संस्कृति की पुनःस्थापना के प्रत्येक कार्य में तन-मन-धन से सहयोग करें। जन्माष्टमी के शुभ दिन पर, ऊपर दिए गए संकल्प के साथ श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाएँ और “यतो गाय ततो कृष्ण : यतो कृष्ण ततो धर्म : यतो धर्म ततो जय:” के उद्घोष को चरितार्थ कर स्वयं को धन्य बनाएं।