गिरिशभाई शाह को “करुणा (जीवदया) और अहिंसा” हेतु 2025 का JAINA ग्लोबल अवॉर्ड प्रदान

पशु कल्याण, पर्यावरण संरक्षण और मानवीय सेवा में जीवनपर्यंत समर्पण का सम्मान
शिकागो / शॉम्बर्ग, इलिनॉय, USA | 5 जुलाई 2025
शॉम्बर्ग कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एक भावुक समारोह में, प्रसिद्ध पशु-कल्याण सेवक और परोपकारी कार्यकर्ता श्री गिरिशभाई शाह को 2025 का JAINA ग्लोबल अवॉर्ड प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें “करुणा (जीवदया) और अहिंसा” की प्रमुख श्रेणी में दिया गया।
यह सम्मान Federation of Jain Associations in North America (JAINA) द्वारा आयोजित भव्य कन्वेंशन में प्रदान किया गया, जिसमें भारत और विदेश से आए 5,000 से अधिक प्रतिनिधियों, जैन मुनियों, विद्वानों, जनप्रतिनिधियों और प्रवासी नेताओं ने भाग लिया।
श्री शाह को यह सम्मान एवॉर्ड समिति की अध्यक्ष श्रीमती कोकिलाबेन द्वारा प्रदान किया गया। मंच पर विशाल स्क्रीन पर उनके योगदान का सार दिखाया गया:
“एक छोटी सी पहल से लेकर राष्ट्रव्यापी जनआंदोलन तक… 1.5 लाख एकड़ भूमि का पुनर्जीवन, सैकड़ों गौशालाओं को सहायता, और असंख्य जीवनों को स्पर्श।”
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अहिंसा और सेवा से बना जीवन पथ
शाह जी को प्रेरणा जैन मुनियों से मिली, जिन्होंने “जीयो और जीने दो” का संदेश गुरु ने दिया।
2002 में उन्होंने समस्त महाजन की स्थापना की — समाज के सामूहिक उत्थान की भावना को समर्पित एक संस्था। उनके नेतृत्व में इस संस्था ने:
• 1,200+ गौशालाओं और पंजरापोलों को चारा, दवाइयाँ और आधारभूत संरचना की सहायता दी (गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों में)।
• 1.5 लाख एकड़ बंजर भूमि को हरा-भरा चरागाह बनाया, जिससे गांवों की अर्थव्यवस्था, भूजल स्तर और जैव विविधता में वृद्धि हुई।
• आपदा राहत कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई—बाढ़, चक्रवात और महामारी के समय राशन किट, पशु चारा और पशु चिकित्सा सेवा प्रदान की।
• देशी वृक्षारोपण और वर्षा जल संचयन को जनांदोलन बनाकर महाराष्ट्र और गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में स्थायी समाधान दिए।
व्यवसायिक रूप से शाह जी D.G. Exports और Rishabh Gems के सफल हीरा निर्यातक हैं। लेकिन उन्होंने अपने व्यापारिक कौशल को परोपकार में परिवर्तित कर दिया है।
2017 से वे भारत सरकार के ‘जीव जंतु संरक्षण कल्याण बोर्ड (AWBI)’ के सदस्य भी हैं, जहाँ उन्होंने गौशालाओं के लिए नीति निर्माण, मानवीय पशु परिवहन और उत्तरदायी पर्यटन को दिशा दी।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा:
“पशु हमारे ‘जीवन धन’ हैं—जीवित संपत्ति।”
यह कथन राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के हालिया उद्बोधन की पुनरावृत्ति है। उन्होंने आगे कहा,
“यह पुरस्कार उन सभी स्वयंसेवकों, दाताओं, गौसेवकों और ग्राम प्रमुखों का है, जो प्रतिदिन यह सिद्ध करते हैं कि करुणा एक व्यावहारिक, दोहराने योग्य और आर्थिक दृष्टि से विवेकपूर्ण मार्ग है।”
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JAINA कन्वेंशन: एक वैश्विक जैन मंच
1981 में स्थापित JAINA का द्विवार्षिक कन्वेंशन अब वैश्विक जैन प्रवासी समुदाय का सबसे बड़ा आयोजन बन गया है।
2025 की थीम — “विविधता में एकता: शांति की ओर एक पथ” — के अंतर्गत पाँच जैन व्रतों (अहिंसा, अनेकांतवाद, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह) को विभिन्न सत्रों, युवा हेकाथॉन, स्वास्थ्य शिविर और पर्यावरण–मैत्री प्रदर्शनी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
कोकिलाबेन ने कहा:
“गिरिशभाई यह सिद्ध करते हैं कि एक व्यक्ति, यदि वह मूल्यों पर चले, तो वह व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन ला सकता है—चाहे वह गौशालाओं के लिए करोड़ों रुपये की सहायता हो या CSR फंडिंग से घासभूमियों का पुनरुद्धार।”
सिम्मी शाह ने बताया कि इस वर्ष समिति के पास 200 से अधिक नामांकन आए थे।
“शाह जी की फाइल में मात्र आंकड़े नहीं, बल्कि आदिवासी महिलाओं की गवाही, छात्रवृत्ति से पढ़े बच्चों की कहानियाँ और मोबाइल पशु अस्पतालों से प्रशिक्षित डॉक्टरों के अनुभव शामिल थे। यह प्रभाव बहुआयामी है।”
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न्याय समिति को प्रभावित करने वाले मुख्य कार्य
- नीति निर्माण में योगदान:
श्वेत पत्रों के माध्यम से गौ कल्याण के लिए राज्य सरकारों को प्रतिदिन अनुदान देने हेतु प्रेरित किया। महावीर जयंती और ‘वर्ल्ड नवकार डे’ जैसे अवसरों पर नगर कसाईघरों को बंद करवाने में योगदान दिया। - मंदिर-गौशाला-खेती मॉडल:
प्राचीन भारतीय व्यवस्था को पुनः स्थापित करते हुए, गौशालाओं को जैविक खेती और मंदिरों के रसोईघरों से जोड़ा—गौमूत्र-गौबर → जैविक खाद → रासायनिक मुक्त अन्न → मंदिर प्रसाद → बचे हुए चारे → फिर पशुओं तक। - युवा और महिला सशक्तिकरण:
आदिवासी क्षेत्रों की महिलाओं को स्वरोजगार और कौशल प्रशिक्षण, बच्चों को शिक्षा और ग्रामीण युवाओं को सेवा में प्रेरित किया।
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करुणा के दायरे का विस्तार
शाह जी ने इस वैश्विक मंच से दो नई पहल की घोषणा की”
१. “ गौचर विकास अभियान (2025–2030):
भारत के हर गांव की प्रत्येक इंच घासभूमि को चिन्हित कर बाड़बंदी, गांडो बबूल (प्रोसोपिस जूलिफ्लोरा) को हटाना, 4,000 देशी वृक्ष लगाना और वर्षा जल संचयन।
अनुमानित परिणाम: प्रति गांव ₹5 करोड़ की वार्षिक आय वृद्धि और 30% भूजल स्तर में सुधार।
- “गो-डिजिटल गौशाला फंड”:
$5 मिलियन का CSR समर्थित कोष, जिससे 1,000 गौशालाओं में IoT आधारित हेल्थ कॉलर, रोड सेफ्टी हेतु रेडियम बैंड और गर्मी-सर्दी से सुरक्षा के लिए पफ पैनल शेड स्थापित किए जाएंगे।
“हर एक रुपया यदि करुणा पर आधारित संरचना में लगाया जाए, तो उसका प्रतिफल कई गुना मिलता है—बेहतर दूध, जलवायु लचीलापन और स्वस्थ समाज।”
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गिरिशभाई शाह के बारे में
प्रबंध न्यासी: समस्त महाजन | सदस्य: भारत सरकार, जीव जंतु कल्याण बोर्ड
गुजरात में जन्मे गिरिशभाई ने हीरा निर्यात व्यवसाय को जीवदया के संकल्प से जोड़ते हुए अपने जीवन को सेवा को समर्पित किया।
उन्होंने ‘जीवदया रत्न’, ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र’, ‘आचार्य चाणक्य’ और ‘जल प्रहरी सम्मान’ जैसे अनेक पुरस्कार प्राप्त किए हैं। उनकी पत्नी श्रीमती किरण शाह और संतानें भी समस्त महाजन के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं—सेवा उनके परिवार की परंपरा है।
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समस्त महाजन के बारे में
स्थापना: 2002 | क्षेत्र: अखिल भारतीय
समस्त महाजन एक अग्रणी NGO है जो पशु कल्याण, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, और आपदा राहत के क्षेत्र में कार्यरत है।
प्रमुख कार्यक्रमों में मोबाइल पशु अस्पताल, देशी वृक्षारोपण, वर्षा जल संचयन और जीविकोपार्जन प्रशिक्षण शामिल हैं।
यह संस्था पारदर्शी प्रबंधन, ऑडिटेड वित्तीय व्यवस्था और सरकार, उद्योग जगत तथा समुदायों के साथ मजबूत भागीदारी पर आधारित है।
🌐 www.samastmahajan.org | ✉️ info@samastmahajan.org
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JAINA के बारे में
स्थापना: 1981 | मुख्यालय: उत्तरी अमेरिका
JAINA (Federation of Jain Associations in North America) — उत्तरी अमेरिका की 72 जैन संस्थाओं और 1.6 लाख से अधिक सदस्यों का शीर्ष संगठन है।
यह जैन संस्कृति के संरक्षण, अंतर्धार्मिक संवाद और सेवा कार्यों को बढ़ावा देता है। इसका द्विवार्षिक कन्वेंशन जैन मूल्यों की वैश्विक अभिव्यक्ति है।
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“करुणा वह मुद्रा है, जो हर जीव को समृद्ध करती है—जिसे वह छूती है।”
— गिरिशभाई शाह, 2025 JAINA ग्लोबल अवॉर्ड विजेता