गौरैया संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान – विलुप्ति की कगार पर है हमारी नन्ही चिड़िया

बिलासपुर,
शहरीकरण की तेज़ रफ्तार, बढ़ता कंक्रीटीकरण और घटता हरियाली क्षेत्र हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। इसी के चलते एक समय हर घर की पहचान रही नन्ही गौरैया (House Sparrow) आज विलुप्ति की कगार पर है।
गौरैया, जो कभी हमारे आंगनों, खिड़कियों और मंदिरों में चहचहाया करती थी, अब शहरों में दुर्लभ होती जा रही है। इसकी संख्या में हो रही गिरावट न केवल जैव विविधता के लिए खतरा है, बल्कि यह पर्यावरणीय असंतुलन का भी संकेतक है।
विलुप्ति के प्रमुख कारण: बिलासपुर के वन मंडल अधिकारी श्री सत्यदेव शर्मा के अनुसार गौरैया की घटती संख्या के पीछे कई कारण हैं, जैसे:
- अत्यधिक शहरीकरण और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई
- प्राकृतिक आवासों का विनाश
- मोबाइल टावरों से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें
- खेतों में रासायनिक कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
- प्रदूषण और भोजन स्रोतों की कमी
पर्यावरणविद् मंसूर खान द्वारा सुझाए गए समाधान:
- अपने घरों में बालकनी या आंगन में अनाज (गेहूं, बाजरा, चावल) और पानी की व्यवस्था करें
- लकड़ी या मिट्टी से बने कृत्रिम घोंसले लगाएं
- अधिक से अधिक पौधारोपण करें
- जैविक खेती को अपनाएं और कीटनाशकों के उपयोग में कमी लाएं
- विद्यालयों, सामाजिक संस्थानों और मोहल्लों में जागरूकता अभियान चलाएं