“काउ हग डे “ गौ माता के महत्व को समझने और गौशालाओं को बढ़ावा देने का एक शानदार अवसर है ।-डॉ. वल्लभभाई कथीरिया

गौ भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है । सनातन परंपरा में गौ को माता का स्थान प्राप्त है, और यह केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है । हाल ही में, ‘गौ आलिंगन दिवस’ (Cow Hug Day) मनाने की परंपरा शुरू हुई है, जिसका उद्देश्य गौ के प्रति प्रेम और सम्मान प्रकट करना तथा उसके संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है। डॉ.कथीरिया ने वैज्ञानिक पहलू पर बात करते हुए कहा की जब हम किसी प्रियजन को गले लगाते हैं, तो हमारे शरीर में ऑक्सिटोसिन नामक हार्मोन उत्पन्न होता है । यह तनाव कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि गौ को गले लगाने से भी यही प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति का तनाव कम होता है और मन में सकारात्मकता आती है। अमेरिका और यूरोप में ‘कैटल थेरेपी’ (Cattle Therapy) का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए किया जाता है। भारत में भी, गौशालाओं में गौ-संपर्क चिकित्सा को बढ़ावा दिया जा रहा है । गौ से प्राप्त पंचगव्य (दूध, घी, दही, गोमूत्र, गोबर) स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। गौ को गले लगाने से उसकी उष्णता शरीर में सकारात्मक ऊर्जा संचारित करती है और मानसिक शांति देती है। डॉ.कथीरिया ने धार्मिक और आध्यात्मिक पहलू पर बात करते हुए कहा की ऋग्वेद, अथर्ववेद, महाभारत और श्रीमद्भागवत पुराण में गौ की महिमा का उल्लेख है । श्रीकृष्ण स्वयं गोरक्षता के प्रतीक माने जाते हैं। हिन्दू धर्म में ‘गौ माता’ को पृथ्वी का स्वरूप माना गया है। गौ-सेवा करने से आत्मिक शुद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है। गौ को गले लगाना भगवान के समीप जाने का एक साधन माना जा सकता है। गौ सेवा करने जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। डॉ.कथीरिया ने सामाजिक और आर्थिक महत्व पर बात करते हुए कहा की गौ के संरक्षण से पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है। गौ आधारित कृषि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देती है। गौ आलिंगन दिवस के माध्यम से हम गौशालाओं की स्थिति सुधार सकते हैं और लोगों को गौ-सेवा की ओर प्रेरित कर सकते हैं। गौ आधारित उत्पादों जैसे पंचगव्य, गौमूत्र औषधि, गौ-गोबर से बनी खाद आदि के उपयोग को प्रोत्साहित कर सकते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। डॉ.कथीरिया ने गौ आलिंगन दिवस किस तरह मनाया जा शकता है इस पर बात करते हुए कहा की स्थानीय गौशालाओं में जाकर गौ को गले लगाने का कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है। इस दिन गौ माता की विधिवत पूजा-अर्चना की जाए और उनके लिए हरे चारे एवं गुड़ आदि की व्यवस्था की जाए।इस अवसर पर पंचगव्य, गौ-गोबर से बनी मूर्तियों, जैविक खाद और अन्य उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जा सकती है। गौ-रक्षा और संवर्धन पर विचार-विमर्श के लिए सेमिनार और वेबिनार का आयोजन किया जाए। गौ-उद्योग को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग आत्मनिर्भर बन सकें। गौ आलिंगन दिवस केवल एक प्रतीकात्मक दिवस नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो हमें अपने सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों से जोड़ता है। यह दिवस हमें गौ माता के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है और हमें उसके संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। आइए, हम सभी मिलकर इस विशेष दिवस को व्यापक रूप से मनाएं और ‘गौ माता’ को गले लगाकर उनके प्रति अपने प्रेम और सम्मान को प्रकट करें।