मांसाहार – सर्वनाशाहार, शाकाहार – स्वस्थ जीवन का आधार
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मांसाहार का त्याग करना बहुत ज़रूरी है। पृथ्वी पर रहने वाले किसी भी जीव को मरना पसंद नहीं है। पशु-पक्षियों को उनके मांस के लिए, उनके मूक लेकिन अत्यंत पीड़ादायक विरोध के बीच मारना पड़ता है। यानी “मीट इज मर्डर”। पृथ्वी के सभी शक्तिशाली और बुद्धिमान प्राणी (जैसे हाथी, हिप्पोपोटामस, गैंडा, घोड़ा, जिराफ, गाय आदि) शाकाहारी हैं, जिससे यह कहा जा सकता है कि मांसाहार से पोषण और ताकत मिलती है, यह बात बिलकुल गलत है।
आजकल विश्व भर के लोग भारतीय संस्कृति की गरिमा स्वरूप कही जा सकने वाली परंपरा शाकाहार और योग की ओर मुड़ रहे हैं, शाकाहारी और वीगन हो रहे हैं, तब दुर्भाग्य से हमारे युवा पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर पतन के मार्ग पर जा रहे हैं, करोड़ों मूक जीवों की क्रूर हत्या में निमित्त बन रहे हैं, मांसाहार कर रहे हैं, यह हमारी दुर्भाग्य की पराकाष्ठा है।
आज का विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है कि मांसाहार अनेक रोगों का जनक है। इससे शरीर को अपार नुकसान होता है, जबकि शाकाहार से संपूर्ण नीरोग और लंबी आयु प्राप्त हो सकती है। “जैसा अन्न वैसा मन” का सूत्र सूचित करता है कि “जैसा आहार वैसा व्यवहार”। मांसाहार का प्रमाण जितना बढ़ेगा उतने ही प्रमाण में इको सिस्टम बिगड़ेगा और परिणामस्वरूप अधोगति, प्राकृतिक आपदाएं, भूकंप-बाढ़-कोरोना जैसी बीमारियां या विनाश होते हैं, यह ठोस हकीकत जानना और बताना हर जागरूक मानव की जिम्मेदारी है। अपने लिए नहीं तो कम से कम भावी पीढ़ी के कल्याण के लिए यह फर्ज निभाना अनिवार्य है।
मांसाहार – सर्वनाशाहार ।
शाकाहार – स्वस्थ जीवन का आधार।
मितल खेताणी (मो. 98242 21999)