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शिक्षा मंत्री और यूजीसी अध्यक्ष को पत्र लिखकरडॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘कामधेनु पीठ/चेयर’ की स्थापना की अपील की।

ग्लोबल कन्फेडरेशन ऑफ काउ बेस्ड इंडस्ट्री (GCCI) के अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष श्री विनीत जोशी को पत्र लिखकर एक महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किया है। उन्होंने देशभर की समस्त विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में ‘कामधेनु चेयर’ / ‘कामधेनु पीठ’ की स्थापना किए जाने का आग्रह किया है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020, संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) एवं भारतीय संस्कृति और संविधान के उद्देश्यों के अनुरूप है। डॉ. कथीरिया ने यूजीसी द्वारा हाल ही में उच्च शिक्षण संस्थानों में पशु कल्याण समितियों की स्थापना हेतु जारी किए गए पत्र की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल विद्यार्थियों में करुणा, संवेदनशीलता और नैतिक मूल्यों का सिंचन करेगी, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। कामधेनु पीठ या कामधेनु चेयर की संकल्पना को डॉ. कथीरिया ने एक समग्र शैक्षणिक एवं रोजगारके दृष्टिकोण के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों एवं ग्रामीण समुदायों को देशी गौवंश के वैज्ञानिक, कृषि, पर्यावरणीय, आर्थिक एवं आध्यात्मिक महत्व के प्रति जागरूक बनाना है। यह ‘कामधेनु चेयर’ ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे राष्ट्रीय अभियानों से जुड़कर स्वास्थ्य, गौ-आधारित प्राकृतिक खेती, पंचगव्य, गौ आधारित उद्योगों, महिला सशक्तिकरण, गरीबी नाबूदी और पर्यावरण संतुलन के लिए एक सशक्त आधार प्रदान कर सकती है। डॉ. कथीरिया ने आग्रह किया है कि यह ‘कामधेनु चेयर’ सरकार, यूजीसी, ICAR और अन्य संबंधित संस्थाओं के सहयोग से कार्य करे एवं शिक्षा, शोध, प्रशिक्षण एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार की गतिविधियों को प्रोत्साहित करे। प्रत्येक विश्वविद्यालय या कॉलेज में एक योग्य विशेषज्ञ को ‘कामधेनु चेयर प्रोफेसर’ के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जो अनुसंधान, नवाचार और स्टार्टअप के क्षेत्र में मार्गदर्शन दे। डॉ. कथीरिया ने सरकार से इस दिशा में एक नीति निर्माण करने का निवेदन किया है, जिससे भारत की प्राचीन गौ-संस्कृति और जैव विविधता की रक्षा के साथ-साथ विकास एवं युवाओं के लिए नए अवसर उत्पन्न किए जा सकें।

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