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पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं GCCI के संस्थापक डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने किया मथुरा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक, स्मृति वन और गौशाला फार्मेसी का भ्रमण

हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गौ सेवा गतिविधियों की राष्ट्रीय बैठक पंडित दीनदयाल उपाध्याय अनुसंधान केंद्र, परखम, मथुरा में आयोजित की गई । इसी दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री और GCCI के संस्थापक डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मभूमि, फराह ग्राम स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक, स्मृति वन और पंडित दीनदयाल गौशाला फार्मेसी का दौरा किया। यह स्थल एकात्म मानववाद और अंत्योदय के सिद्धांतों को साकार करने की प्रेरणा देता है, जहाँ गौ आधारित उत्पादों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार किया जा रहा है। इस अवसर पर डॉ. कथीरिया ने कहा, “पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन और उनके विचार हमें यह सिखाते हैं कि राष्ट्र निर्माण का मुख्य उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक सुख और समृद्धि पहुँचाना होना चाहिए। उनका एकात्म मानववाद का सिद्धांत हमें गाँवों और वंचित वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने की प्रेरणा देता है।” डॉ. कथीरिया ने पंडित दीनदयाल गौशाला फार्मेसी का भी दौरा किया, जहाँ गोबर और गौमूत्र से प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण किया जाता है। यहाँ पंचगव्य आयुर्वेदिक दवाएँ, जैविक खाद, धूपबत्ती, साबुन और अन्य गौ आधारित उत्पाद बनाए जाते हैं। उन्होंने इस परियोजना की सराहना करते हुए कहा, “यह गौशाला फार्मेसी पंडित दीनदयाल जी की विचारधारा का जीवंत उदाहरण है। गोबर और गौमूत्र आधारित उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं। ये उत्पाद न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं, बल्कि आधुनिक जीवनशैली के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं।” उन्होंने किसानों, गौसेवकों और उद्यमियों को गौ आधारित स्टार्टअप्स और स्वदेशी उत्पादों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। यह परियोजना गौ आधारित उद्योगों, जैविक खेती और ग्रामीण स्वावलंबन के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। डॉ. कथीरिया ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि एकात्म मानववाद के माध्यम से हम आर्थिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों के संवर्धन से राष्ट्र को समृद्ध बना सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, “स्वदेशी उत्पादों, गौ आधारित कृषि और ग्रामीण विकास पर ध्यान केंद्रित करके हम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। गौ आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देकर हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को और अधिक मजबूत बना सकते हैं।” डॉ. कथीरिया ने कहा कि मथुरा में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक में उनके जीवन, सिद्धांतों और कार्यों को गहराई से दर्शाया गया है। यहाँ युवाओं के लिए प्रेरणादायक शिलालेख और चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। गौसेवकों, किसानों और राष्ट्रप्रेमियों को संदेश देते हुए डॉ. कथीरिया ने कहा, “गौ सेवा ही राष्ट्र सेवा है। यदि हम गौ माता की रक्षा करेंगे, तो कृषि व्यवस्था, पर्यावरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्वतः ही सुदृढ़ हो जाएगी।” उन्होंने अंत में सभी से गौ आधारित जीवनशैली अपनाने, जैविक खेती को प्रोत्साहित करने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देने की अपील की। इस अवसर पर जामनगर के पर्यावरण एवं ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत श्री सिद्धार्थभाई व्यास भी उपस्थित रहे।

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