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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पहला उपवास गौ रक्षा के लिए किया था

स्कूली जीवन में महात्मा गांधी जी की गौ रक्षा की इच्छा को लेकर देशभर में एक बड़ा आंदोलन चला था। सरकार इस दिशा में कोई कानून नहीं बना रही थी, इसलिए पूरे देश में एक दिन का सार्वजनिक उपवास रखने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उस समय हम बच्चे थे, शायद प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करके निकले ही थे। लेकिन उस आंदोलन में भाग लेने का मन बना लिया। बचपन में ही पहली बार उपवास का अनुभव लिया। उस छोटी उम्र में न तो भूख का अहसास हो रहा था, नही खाने की इच्छा। बल्कि उपवास के माध्यम से एक नई चेतना और ऊर्जा का अनुभव हुआ। यह अनुभव मात्र भोजन न करने का नहीं था, बल्कि इससे कहीं अधिक गहरा था। यह मेरे भीतर दृढ़ विश्वास (conviction) का संचार कर गया कि उपवास सिर्फ भूखे रहने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रयोग है। धीरे-धीरे मैंने अपने शरीर और मन को विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से साधने का प्रयास किया। कई वर्षों की प्रक्रिया में उपवास मेरे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। इसने न केवल आत्मसंयम सिखाया बल्कि जीवन में धैर्य, आत्मबल और आध्यात्मिक शक्ति को भी विकसित किया। गौ रक्षा के लिए बचपन का यह पहला उपवास आज भी प्रेरणा देता है कि त्याग और तपस्या के माध्यम से बड़े सामाजिक बदलाव लाए जा सकते हैं।

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