फ्रेंडशिप डे पूरी दुनिया में दोस्ती और संबंधों के उत्सव के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष क्यों न हम इस दिन को एक नए दृष्टिकोण से मनाएं ? आइए इस अवसर पर हम केवल अपने परिवार, मित्रों और समाज तक ही सीमित न रहें, बल्कि गौमाता और अबोल जीवों से भी मित्रता करें।
हमारी यह पहल समाज को प्रेरित करती है कि हम मिलकर एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था की ओर आगे बढ़ें, जहाँ बेसहारा, घायल और ज़रूरतमंद गौमाता एवं गौवंश को सम्मान और देखभाल मिले। देसी गौवंश हमारे समाज, संस्कृति और पारंपरिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।
हमें यह समझने की आवश्यकता है कि संबंध केवल घर-परिवार तक सीमित नहीं होने चाहिए। गौमाता को गोद लेने का विचार केवल एक सामाजिक कार्य नहीं है, बल्कि यह उन बेसहारा और ज़रूरतमंद जीवों को नया जीवन देने का माध्यम है। समाज का हर वर्ग इस पहल में भाग ले सकता है – चाहे वह गौमाता को आर्थिक रूप से गोद लेने के रूप में हो या उनकी देखभाल और सुरक्षा में मदद करने के रूप में।
इस पहल का उद्देश्य केवल गौमाता को गोद लेना नहीं है, बल्कि समाज में दया, समझदारी और सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ाना भी है। इससे समाज में सकारात्मकता और नए उत्साह का वातावरण बनेगा। यह केवल मित्रता का अवसर नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है, जिसमें व्यक्ति स्वयं को प्रकृति से जुड़ा हुआ महसूस करेगा।
यदि समाज का हर व्यक्ति, परिवार या समुदाय इस विचार को अपनाए और गौमाता को अपना मित्र मानकर उन्हें स्नेह और सुरक्षा प्रदान करे, तो इससे न केवल हमारे देसी गौवंश की रक्षा होगी, बल्कि पशु कल्याण और करुणा की एक नई दृष्टि का जन्म होगा। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम न केवल अपने परिवार और मित्रों की चिंता करें, बल्कि उन जीवों का भी, जो हमारे पर्यावरण और जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।
इस पहल के माध्यम से हम देसी गौमाता के लिए एक ऐसा सुरक्षित वातावरण तैयार कर सकते हैं, जहाँ वे न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सुरक्षित रह सकें। इसमें समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी, जो आने वाली पीढ़ियों को अबोल जीवों के प्रति प्रेम और ज़िम्मेदारी की सीख देगी।
इस प्रकार की पहल समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। GCCI द्वारा आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि इस विचार को अपनाएं, इसमें यथासंभव योगदान दें और इसे एक व्यापक रूप प्रदान करें।
