अश्लील ऐप्स पर ‘डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक’ का स्वागत उदय माहुरकर ने ‘संस्कारी’ डिजिटल भारत के लिए 6-सूत्रीय योजना अपनाने का सरकार से आग्रह किया |

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सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने सरकार की निर्णायक कार्रवाई की सराहना की, सर्वोच्च न्यायालय और सहयोगी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया, और डिजिटल अश्लीलता माफिया को खत्म करने के लिए प्रणालीगत सुधारों का आह्वान किया |

भारत सरकार ने बलात्कारियों के ब्रीडिंग सेंटर बन चुके और बहन-बेटियों की इज्जत लूटना सिखाने वाले विकृत ऐप्स पर एक बड़ा प्रहार किया है। इस कंटेंट को देखकर अच्छे-अच्छे लोगों में शैतान पैदा हो रहा था और यह समाज को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक रूप से तबाह कर रहा था। इस अत्यंत आवश्यक ‘डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक’ का प्रख्यात पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री उदय माहुरकर के नेतृत्व वाले सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने तहे दिल से स्वागत करते हुए सरकार की निर्णायक कार्रवाई की सराहना की है। फाउंडेशन का मानना है कि इस कदम से नारी का अशिष्ट रूपण करने वालों में कठोर सजा का भय पैदा होगा, जिससे भविष्य में कोई ऐसा करने की हिम्मत नहीं करेगा। यह अश्लील और विकृत सामग्री की डिजिटल महामारी के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आक्रोश था। इस मुद्दे की गंभीरता पर आरएसएस के सरसंघचालक, श्री मोहन भागवत जी ने भी अपने वार्षिक दशहरा भाषण के दौरान गंभीर चिंता व्यक्त की थी, जिसका समर्थन देश भर के कई आध्यात्मिक और सामाजिक नेताओं ने भी किया है। फाउंडेशन इस मामले पर गंभीर संज्ञान लेने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय का भी हृदय से आभार व्यक्त करता है। यह एक ऐसे ध्येय को समर्पित है जिसे जमीनी स्तर पर श्री विष्णु शंकर जैन जैसे अधिवक्ताओं, और जेम्स ऑफ बॉलीवुड, हिंदू जनजागृति समिति, युवा जागरण मंच जैसे समर्पित संगठनों व कई अन्य लोगों ने अथक रूप से आगे बढ़ाया है, जिनके निरंतर प्रयासों ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय पटल पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री माहुरकर, जिन्होंने इसे एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में लिया है, ने कहा, “हम राष्ट्र की आत्मा की रक्षा के लिए इस धर्मयुद्ध में पहले साहसिक कदम के लिए भारत सरकार को बधाई देते हैं। यह प्रतिबंध हर भारतीय परिवार की जीत है। हालांकि, यह केवल पहली लड़ाई है। डिजिटल अश्लीलता का माफिया बहुत गहराई तक अपनी जड़ें जमा चुका है और वह अपना जहर फैलाने के नए रास्ते खोज निकालेगा।” उन्होंने आगे कहा, “इस युद्ध को जीतने के लिए, हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस गति को आगे बढ़ाए और एक व्यापक 6-सूत्रीय एक्शन प्लान को तत्काल लागू करे। एक बार का प्रतिबंध पर्याप्त नहीं है; हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों की स्थायी रूप से रक्षा करने और डिजिटल इंडिया को हमारे बच्चों के लिए वास्तव में एक ‘संस्कारी’ और सुरक्षित स्थान बनाने के लिए प्रणालीगत कानूनी और तकनीकी सुधारों की आवश्यकता है।” एक व्यापक समाधान के लिए प्रस्तावित 6-सूत्रीय एक्शन प्लान: 1. स्त्री अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, १९८६ (The Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986) को मजबूत करना: कानून में संशोधन कर सभी डिजिटल सामग्री को शामिल किया जाए और वास्तविक भय पैदा करने के लिए न्यूनतम १० साल के कठोर कारावास का प्रावधान हो, जिसमें कम से कम ३ वर्ष गैर-जमानती हों। 2. COMMON PROGRAMME CODE लागू करना: सभी प्लेटफॉर्म (टीवी, ओटीटी, सोशल मीडिया) के लिए विकृत और अनाचारपूर्ण विषयों पर प्रतिबंध लगाने हेतु, टीवी के लिए RULE 6 – PROGRAMME CODE की तरह, एक एकल, कानूनी रूप से बाध्यकारी ‘कॉमन प्रोग्राम कोड’ स्थापित करना। 3. ‘नेशनल कंटेंट कंट्रोल अथॉरिटी’ का गठन: एक स्वायत्त, तेजी से काम करने वाली नियामक संस्था का गठन करना, जिसे शिकायत के ३ घंटे के भीतर सामग्री हटाने का आदेश जारी करने की शक्ति हो। 4. ‘ऑपरेशन डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक’ का कार्यान्वयन: हानिकारक
सामग्री को सक्रिय रूप से और लगातार स्कैन और ब्लॉक करने के लिए एक स्थायी केंद्रीय टास्क फोर्स का गठन करना। 5. मुद्रीकरण से पहले अनिवार्य प्रमाणीकरण: पूर्व-प्रमाणन के बिना किसी भी सामग्री से कमाई को अवैध बनाकर अश्लीलता के लिए वित्तीय प्रोत्साहन को समाप्त करना। 6. ‘सेफ हार्बर’ (धारा ७९, आईटी एक्ट) में सुधार या निरस्तीकरण: प्लेटफॉर्म को उस सामग्री के लिए कानूनी और आपराधिक रूप से जवाबदेह बनाना जिससे वे लाभ कमाते हैं।

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